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परिचय


महाराष्ट्र के पुणे में श्री दामुअन्ना दाते जी एवं श्री श्रीपति शास्त्री जी ने कार्यकर्ताओं को महाराष्ट्र के संपूर्ण जिलों में संगठित करते हुए  9 सितंबर सन 1990 को मॉडर्न हाई स्कूल, गणेश खंड मार्ग, पुणे में सभी कार्यकर्ताओं के साथ आयोजित एक बैठक में संगठन का नाम “क्रीड़ा भारती” सोचा गया  ।

1991 एवं 1992 में शृंखलाबद्ध लंबी चर्चा के बाद संस्थापक कार्यकारिणी, विधान आदि का कार्य पूर्ण हुआ एवं पंजीकरण आवेदन करने के बाद 4 दिसंबर 1992 को महाराष्ट्र सरकार द्वारा संपूर्ण देश में कार्य करने की अनुमति के साथ पंजीकरण दस्तावेज जारी किए गए । क्रीड़ा भारती के कार्य की स्वीकृति समाज में होने लगी तो हनुमान जन्मोत्सव से क्रीड़ा भारती का कार्य विधिवत रूप से प्रारंभ हुआ ।

28 जून 2009 को नासिक के पेठे हाई स्कूल में श्री मदन दास जी देवी, तथा श्री लक्ष्मण राव पार्डीकर जी की उपस्थिति में कार्यकर्ताओं की बैठक का आयोजन हुआ जिसमें अखिल भारतीय कार्यकारिणी की निम्नवत घोषणा हुई — माननीय अध्यक्ष – श्री चेतन चौहान (दिल्ली), उपाध्यक्ष – श्री नारायण सिंह राणा (देहरादून), कार्याध्यक्ष – श्री मुकुंद अंबर्डेकर (पुणे), महामंत्री – श्री राज चौधरी (पुणे), मंत्री – श्री संजय तिवारी (धनबाद), कोषाध्यक्ष – श्री कमलाकर क्षीरसागर (डोंबिवली), सदस्य – श्री रमेश बोन्द्रे (पुणे), श्री दीपक लेले (सांगली), श्री शरद गोडसे (पुणे),  श्री गोविंद मालसे (पुणे), डॉ गणेश केतकर (मुंबई), श्री नेपा मुरली (केरल), श्री श्रीकांत धर्माधिकारी (मुंबई), श्री विकास अग्रवाल (मेरठ), श्री रामानंद चौधरी (जयपुर) । श्री लक्ष्मणराव पार्डीकर जी को भी क्रीड़ा भारती में संपर्क का दायित्व दिया गया ।

अक्टूबर 2012 में अखिल भारतीय कार्याध्यक्ष श्री मुकुंद अंबर्डेकर जी के स्थान पर श्री लक्ष्मण राव जी को कार्याध्यक्ष का दायित्व दिया गया । उन्होंने अक्टूबर 2015 में अपने अंतिम सांस तक अखिल भारतीय का कार्याध्यक्ष का दायित्व निभाया । श्री लक्ष्मणराव जी के बाद श्री चैतन्य कुमार कश्यप (रतलाम) वर्तमान में अखिल भारतीय कार्याध्यक्ष का दायित्व वहन कर रहे हैं ।

क्रीडा भारती का कार्य
क्रीड़ा केंद्र

क्रीड़ा भारती संगठन की विकास यात्रा में “क्रीड़ा केंद्र” का विचार ‘जहां गाँव वहाँ खेल मैदान’ की अवधारणा से आया । क्रीड़ा भारती का कार्य क्रीड़ा केंद्रों में स्पष्ट दिखाई देता है । खिलाड़ी एवं समाज के प्रत्येक व्यक्ति अपनी आयु, शिक्षा, लिंग आदि को भूलकर खेल मैदान में आएं तथा आनंद, स्वास्थ्य तथा देश के लिए  स्वयं की पसंद का कोई ना कोई खेल प्रतिदिन खेले एवं स्वस्थ भारत समर्थ भारत के निर्माण में सहयोग करें

सूर्यनमस्कार प्रशिक्षण-

सूर्य नमस्कार करवाने हेतु प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होती है । इस हेतु प्रांत एवं जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं को सूर्य नमस्कार हेतु प्रशिक्षित किया जाता है । ऐसे प्रशिक्षित कार्यकर्ता समाज में जाकर सूर्य नमस्कार के प्रति जागरण, प्रशिक्षण तथा कार्यक्रम करते हैं ।

क्रीडा भारती के कार्यक्रम

खिलाड़ियों व आम भारतीयों में शरीर स्वास्थ्य तथा जीवन में आनंद एवं राष्ट्रीय भावना के प्रति जागृत करने के लिए कार्यक्रम-

क्रीड़ा भारती स्थापना दिवस (हनुमान जन्मोत्सव)

स्थापना दिवस पूर्णतया संगठनात्मक गतिविधियों हेतु समर्पित है । इस दिन सभी कार्यकर्ता, सदस्यों एवं हितेषियों का एकत्रीकरण होता है । एकत्रीकरण में सम्मिलित सभी के लिए मंडलियों में खेल तथा स्पर्धाओं का आयोजन किया जाता है । श्री हनुमान जी के जीवन मूल्यों को प्रत्येक खिलाड़ी व कार्यकर्ता यहां तक की सभी भारतीय अपने आचरण में स्वीकार करें इस भावना के साथ हनुमान जी के समान हम बनें एवं उनके गुणों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प करें । यह नए वर्ष का प्रारंभ भी होता है । इस समय संगठन की विभिन्न स्तर की इकाइयाँ पिछले वर्ष किए गए कार्यों की समिक्षा करती हैं तथा संगठन कार्यों से प्राप्त अनुभवों का उपयोग करते हुए आगामी वर्ष की कार्य योजना तैयार की जाती है । नए बनाए गए सदस्यों व कार्यकर्ताओं को प्रत्यक्ष रूप से संगठन की कार्यशैली व उद्देश्यों से अवगत कराया जाता है ।

राष्ट्रीय खेल दिवस (मेजर ध्यानचंद जयंती)

भारतीय खेल जगत के राष्ट्रीय आदर्श एवं हॉकी के जादूगर के नाम से प्रसिद्ध दिवंगत महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद जी की जयंती पर प्रतिवर्ष 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है । उनके एकलव्ययी प्रयासों का ही परिणाम था कि मेजर ध्यानचंद जी के समय में हॉकी में भारत विश्व विजयी रहा । राष्ट्रीय खेल दिवस राष्ट्रीय गौरव का दिन है समाज के सभी लोग व क्षेत्र खेल को राष्ट्रीयता की भावना से देखे अर्थात इस प्रकार से विचार करे कि खेल भी राष्ट्रीय गौरव के उन्नयन का प्रभावी माध्यम है । इस दिन विविध खेलों के खेल संस्थान व संगठन मिलकर विभिन्न मैत्री व प्रोत्साहक खेल प्रतियोगितायें समाज में सामूहिक रूप से आयोजित करती हैं । खेल स्पर्धाओं के साथ ही उपस्थित सभी खिलाड़ियों, सदस्यों व हितेषियों को खेल जगत के राष्ट्रभक्त खिलाड़ियों के प्रसंग बताए जाते हैं ।

इस प्रकार राष्ट्रभक्त खिलाड़ियों के जीवन चरित्र को सभी लोग अपने जीवन में उतारें इस हेतु क्रीड़ा भारती इस दिन विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करवाता है एवं मेजर ध्यानचंद जी सहित राष्ट्रभक्त खिलाड़ियो के जीवन चरित्र उपस्थित सभी लोगों को बताया जाता है ताकि खिलाड़ी केवल मेडल हेतु ना खेल कर राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने हेतु खेलें ऐसी भावना उनमें उत्पन्न हो ।

क्रीड़ा ज्ञान परीक्षा

भारत में विविध संगठनों द्वारा अलग-अलग क्षेत्र के ज्ञान से संबंधित अलग-अलग स्पर्धायें आयोजित की जाती हैं । यह परीक्षा ऑनलाइन माध्यम से आयोजित होती है जिसमें निर्धारित समय में ऑनलाइन पंजीकरण के बाद बालक-बालिका, युवक-युवतियां, महिला-पुरुष सभी भाग ले सकते हैं । इस परीक्षा के माध्यम से परीक्षार्थी अपने खेल क्षेत्र के ज्ञान का परीक्षण करते हैं । परीक्षा में उपस्थित होने वाले सभी प्रतिभागियों को ऑनलाइन ई-प्रमाण पत्र जारी किया जाता है तथा उच्चतम स्थान प्राप्त करने वाले पच्चीस वर्ष के आयु तक के परीक्षार्थियों को प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कार दिए जाते हैं । इस परीक्षा से खेलों के ज्ञान की ओर आकर्षण बढ़ता है ।

जिजामाता सम्मान

वीर जिजामाता, छत्रपति शिवाजी महाराज की माता थी । जिजामाता ने ही शिवाजी के चरित्र को आकार देने और उनमें राष्ट्र के प्रति गर्व व दृढ़ संकल्प की भावना उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा अनेक युद्ध कौशल सिखाये । शिवाजी के जीवन पर हिन्दुत्व का विशेष प्रभाव पड़ा क्योंकि जिजामाता एक सशक्त हिंदुत्व की अनुयाई थी । जिजामाता ने ही बालक शिवाजी को छत्रपति शिवाजी बनाया ।

इस प्रसंग से जब किसी खिलाड़ी व उसकी माता के जीवन से तुलना की जाती है तो यह कहा जा सकता है कि जिजामाता जैसा ही त्याग और वैसी ही तपस्या खिलाड़ी की माता करती है, माँ ही एक विकसित होते खिलाड़ी का उचित प्रकार से संगोपन करती है तथा आवश्यकताओं का पूर्ण रूप से ध्यान रखती है । अपनी माता के सहयोग के कारण ही खिलाड़ी सफलता के शीर्ष पर पहुँच कर यश और कीर्ति प्राप्त करते हुए राष्ट्र का नाम प्रदीप्त करते हैं । ऐसे खिलाड़ियों की माता के त्याग और कठोर परिश्रम से समाज तथा उभरते अन्य खिलाड़ियों की माताएं एवं वे माताएं भी जो अपने बच्चों को खेल की ओर जाने से रोकती हैं सब प्रेरित व परिचित हो, इसी उद्देश्य के साथ ऐसी सफल माताओं को जिजामाता सम्मान से अलंकृत किया जाता है ।

योग दिवस व सूर्य नमस्कार (सूर्य सप्तमी) कार्यक्रम

योग दिवस कार्यक्रम

योग प्रत्येक भारतीय द्वारा ही नहीं अपितु ‘वसुधेव कुटुंबकम’ की भावना की पृष्ठभूमि में विश्व के प्रत्येक व्यक्ति द्वारा स्वीकार कर दिनचर्या का अंग बनाया जाए , इस लक्ष्य को साधने हेतु भारत सरकार की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2015 में प्रतिवर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया ।

योग को दिनचर्या में शामिल करने की भावना व लक्ष्य के साथ प्रतिवर्ष 21 जून को सभी जिला इकाईयों द्वारा विभिन्न खेल संस्थानों, शिक्षा संस्थानों, उद्यानों, सार्वजनिक व ऐतिहासिक स्थलों, सरकारी कार्यालय, मैदान आदि स्थानों पर विभिन्न खेल व योग संस्थाओं के सहयोग से योग कार्यक्रम आयोजित करता है ।

सूर्य नमस्कार

सूर्य नमस्कार सृष्टि पालक भगवान सूर्य नारायण की आराधना स्वरूप किया जाने वाला 7 आसनों का एक समुच्य योग है । सूर्य नमस्कार ही क्रीड़ा भारती का प्रारंभिक कार्यक्रम रहा है ।

इस हेतु प्रतिवर्ष मकर संक्रांति से सूर्य सप्तमी/रथ सप्तमी (माघ शुक्ल सप्तमी) तक लगभग एक माह समाज में जाकर सूर्य नमस्कार करवाये जाते हैं । सभी जिला इकाईयों द्वारा विभिन्न खेल संस्थानों, शिक्षा संस्थानों, उद्यानों, सार्वजनिक व ऐतिहासिक स्थलों, सरकारी कार्यालय, मैदान आदि स्थानों पर विभिन्न खेल व योग संस्थाओं के सहयोग से सामुहिक सूर्य नमस्कार अभ्यास आयोजित किए जाते हैं ।

अन्य कार्यक्रम

अल्ट्रा रिले मैराथन

1997 में स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष पर शनिवार वाड़ा, पुणे से गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई तक 475 किलोमीटर लंबी ‘अल्ट्रा रिले मैराथन’ का आयोजन हुआ । जीतने वाली सात टीमों को स्मृति चिन्ह, नगद पुरस्कार एवं उपहार दिए गए । इस कार्यक्रम में वनवासी बंधुओं की सहभागिता अच्छे प्रमाण में  रही ।

डॉ हेडगेवार ट्रॉफी कबड्डी प्रतियोगिता

औरंगाबाद में डॉ हेडगेवार ट्रॉफी के नाम से अखिल भारतीय कबड्डी प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि राज्यों से कुल 54 टीमों ने हिस्सा लिया तथा देश के अनेक राज्यों से उपस्थित खिलाड़ियों द्वारा क्रीड़ा भारती की जानकारी अपने अपने गृह राज्यों तक पंहुचाई ।

संगोष्ठी

1998 में मुंबई विश्वविद्यालय के कलिना केंपस में क्रीड़ा भारती के प्रयासों से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में खेल विकास हेतु अलग खेल विश्वविद्यालय तथा जहां गांव वहां खेल मैदान की अवधारणा पर जोर दिया गया । इस अवधारणा को क्रीड़ा भारती ने क्रीड़ा केंद्र के रूप मे स्थापित किया ।

स्वतंत्रता के स्वर्ण जयंती वर्ष में ठाणे के डोंबिवली में  “Not only Physical Education but Sports Should be Made Compulsory as a Core Subject in Schools” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया । संगोष्ठी में अनेक राज्यों की सहभागिता रही । इस संगोष्ठी में गोवा के राज्यपाल श्री देवासी जी उपस्थित थे । संगोष्ठी की रिपोर्ट उस समय की केंद्रीय खेल राज्यमंत्री साध्वी उमा भारती जी को दी गयी जिस पर उन्होंने सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया ।

राष्ट्रीय अधिवेशन

प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन रतलाम, मध्यप्रदेश में 25 से 27 दिसंबर 2012 को आयोजित हुआ । अधिवेशन में देशभर से लगभग 650 कार्यकर्ता उपस्थित रहे । साथ ही में खेल संगम भी रहा, विविध खेलों की स्पर्धाये भी सम्पन्न हुई ।  इस अधिवेशन से ‘सक्षम महिला – निर्भय महिला अभियान’ शुरू करने पर सहमति बनी ।

द्वितीय राष्ट्रीय अधिवेशन जयपुर, राजस्थान  में 25 से 27 दिसम्बर 2015 को खेल संगम के नाम से आयोजित हुआ । इसमें राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी व रस्साकस्सी प्रतियोगिताएं हुई । इस अधिवेशन में संघ के सहसरकार्यवाह मा. भैय्याजी की गरिमामय उपस्थिति में ‘स्वस्थ  भारत – समर्थ भारत’ अभियान की घोषणा हुई ।

तृतीय राष्ट्रीय अधिवेशन धनबाद, झारखंड में 28 से 30 दिसंबर 2018 को आयोजित हुआ । अधिवेशन में पूज्य सरसंघचालक जी श्री मोहन भागवत जी ने पूरे समय उपस्थित होकर कार्यकर्ताओं का विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन किया ।  संगठन विस्तार के बाद कार्यकर्ताओं एवं समाज में अनुशासन की भावना हो ऐसा खेल एवं खेल केंद्र के माध्यम से प्रसारित करने का आवाहन किया गया ।

चतुर्थ राष्ट्रीय अधिवेशन लखनऊ, उत्तर प्रदेश में 16 से 18 दिसंबर 2022 को आयोजित हुआ, इसमें प्रांत कार्यकारिणी एवं विभाग संयोजक अपेक्षित रहे । कार्यक्रम में उपस्थित माननीय सरकार्यवाह श्रीमान दत्तात्रेय हॉसबोले जी ने क्रीड़ा भारती के कार्य की सराहना की तथा आनंद के लिए, उत्साह के लिए, शरीर, मन, बुद्धि स्वास्थके लिए, देश के लिए  खेल को जीत हासिल करने का मार्ग बताया । खेलों के प्रति बालक बालिकाओं में आकर्षण निर्माण करने एवं मोबाइल फोन से बालकों को दूर रखने के लिए कार्य करने की की बात की गयी ।  इस अधिवेशन में महिला खिलाड़ी सर्वेक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित हुआ ।   

इस प्रकार 1992 से अपनी स्थापना से लेकर आज तक अपनी विकास यात्रा में क्रीड़ा भारती संगठन प्रांत स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाने में सफल रहा तथा अपने धेय को धरातल पर तहसील स्तर तक सफलतापूर्वक उतारते हुए आगे बढ़ रहा है । आज संगठन का देश के सभी 29 प्रदेशो  एवं 45 प्रान्तों के लगभग 500 से अधिक जिलों में कार्य विस्तार है ।

“क्रीड़ा वृत्या सदाचारो राष्ट्रदेवो कृति युवा” (खेल जगत में खेल भावना एवं क्रीडा वृति का निर्माण) तथा “क्रीड़ा से निर्माण चरित्र का, चरित्र से निर्माण राष्ट्र का” (खेलों से विकसित होकर शुद्ध चरित्र का निर्माण करना है तथा चरित्र से ही राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत करनी है ।)

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